LPG Gas Cylinder Price: 1 अगस्त से सस्ता हुआ गैस सिलेंडर, नई कीमत लागू हुआ, जानिए अपने शहर का ताजा कीमत

By Vikash Kushwaha

Published on:

LPG Gas Cylinder Price
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

LPG Gas Cylinder Price: आज के समय में जब महंगाई की मार से आम जनता परेशान है, उस दौरान रसोई गैस की बढ़ती कीमतें घर-घर की चिंता का विषय बन गई हैं। हर महीने बिजली का बिल, गैस कनेक्शन का खर्च और अन्य जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों से आम परिवार की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ रहा है। लेकिन सरकारी नीतियों और विभिन्न योजनाओं की बदौलत एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में आने वाले समय में कुछ राहत की उम्मीद जगी है।

केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाखों परिवारों को सब्सिडी का लाभ मिल रहा है। इस योजना की बदौलत गैस सिलेंडर की वास्तविक कीमत में काफी कमी आ जाती है। वर्तमान में यह सब्सिडी 300 रुपये प्रति सिलेंडर तक है, जो परिवारों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है। सरकार का इरादा यह है कि आम जनता को रसोई गैस की समस्या से निजात दिलाया जाए और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।

एलपीजी सिलेंडर की वर्तमान कीमत स्थिति

देश भर में एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतें अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती हैं। यह अंतर मुख्यतः स्थानीय करों, परिवहन लागत और अन्य कारकों की वजह से होता है। वर्तमान में 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत दिल्ली में लगभग 803 रुपये है, जबकि मुंबई में यह 802.50 रुपये, कोलकाता में 829 रुपये और चेन्नई में 818.50 रुपये के आसपास है।

हाल के महीनों में तेल विपणन कंपनियों ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों को अपेक्षाकृत स्थिर रखा है। पिछले साल अप्रैल 2025 में घरेलू सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये की वृद्धि की गई थी, जिसके बाद से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। इसके विपरीत, 19 किलोग्राम के वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में नियमित रूप से उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहा है।

तेल कंपनियों की नीति यह रही है कि वे अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के अनुसार वाणिज्यिक सिलेंडर के दाम में बदलाव करती रही हैं, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए रसोई गैस की कीमतों को यथासंभव स्थिर रखने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: एक व्यापक कल्याणकारी पहल

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना भारत सरकार की सबसे सफल और व्यापक योजनाओं में से एक है। इस योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा “स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन” के नारे के साथ की गई थी। इस योजना का मूल उद्देश्य देश की गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराना है।

योजना के पहले चरण में 5 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया था, जो सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इसकी सफलता को देखते हुए सरकार ने उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत की, जिसके तहत अतिरिक्त 1.6 करोड़ कनेक्शन का लक्ष्य निर्धारित किया गया। अब तक इस योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ मिल चुका है।

इस योजना की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह केवल गैस कनेक्शन देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत प्रति सिलेंडर सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। वर्तमान में पीएम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर 300 रुपये की सब्सिडी मिलती है, जो 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगी।

सब्सिडी योजना से मिलने वाले वित्तीय लाभ

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी परिवारों के लिए एक बड़ी आर्थिक राहत है। वर्तमान में इस योजना के लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर 300 रुपये की सब्सिडी मिलती है। इसका मतलब यह है कि यदि एक सिलेंडर की वास्तविक कीमत 803 रुपये है तो उज्ज्वला योजना के लाभार्थी को केवल 503 रुपये में ही सिलेंडर मिल जाता है।

कुछ स्थानों पर यह सब्सिडी 379 रुपये तक भी दी जा रही है, जिससे सिलेंडर की प्रभावी कीमत घटकर 570 रुपये तक आ जाती है। यह एक परिवार के वार्षिक बजट में काफी महत्वपूर्ण बचत का कारण बनता है। यदि एक परिवार साल में 12 सिलेंडर का उपयोग करता है तो उसे 3600 रुपये से 4548 रुपये तक की बचत हो सकती है।

सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है। आमतौर पर गैस उठाने के 2-5 दिनों के भीतर यह राशि खाते में आ जाती है। यह प्रक्रिया पूर्णतः डिजिटल और पारदर्शी है, जिससे किसी प्रकार की धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।

कौन उठा सकते हैं योजना का लाभ

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ विशिष्ट पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। सबसे पहली और महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आवेदक महिला होनी चाहिए। पुरुष इस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सकते। आवेदक महिला की उम्र 18 साल या इससे अधिक होनी आवश्यक है।

दूसरी महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आवेदक का परिवार गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की श्रेणी में आना चाहिए। इसके लिए बीपीएल राशन कार्ड का होना अनिवार्य है। साथ ही यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि परिवार में पहले से कोई एलपीजी कनेक्शन न हो। यदि परिवार के किसी सदस्य के नाम पहले से गैस कनेक्शन है तो वह इस योजना के लिए पात्र नहीं होगा।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और वन में निवास करने वाली महिलाएं भी इस योजना की पात्र हैं।

आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लिए आवेदन करना एक सरल प्रक्रिया है। आवेदक को सबसे पहले अपने नजदीकी एलपीजी वितरण केंद्र या गैस एजेंसी से संपर्क करना होगा। वहां से उज्ज्वला योजना का आवेदन फॉर्म प्राप्त किया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से यह फॉर्म तेल कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

आवेदन करने के लिए कुछ मुख्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले आधार कार्ड की जरूरत होती है, जो पहचान के प्रमाण के रूप में काम आता है। बीपीएल राशन कार्ड अनिवार्य है क्योंकि यह आर्थिक स्थिति का प्रमाण देता है। बैंक खाते की पासबुक भी चाहिए क्योंकि सब्सिडी की राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।

इसके अलावा पासपोर्ट साइज फोटो, निवास प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता हो सकती है। जाति प्रमाण पत्र भी मांगा जा सकता है यदि आवेदक अनुसूचित जाति या जनजाति से संबंधित है। सभी दस्तावेजों की फोटोकॉपी के साथ-साथ मूल दस्तावेज भी सत्यापन के लिए ले जाने चाहिए। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आमतौर पर 10-15 दिनों में गैस कनेक्शन मिल जाता है।

बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव के कारण

एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। सबसे प्रमुख कारण अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में होने वाला बदलाव है। जब विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो इसका सीधा असर एलपीजी की कीमतों पर पड़ता है। वैश्विक राजनीतिक स्थिति, प्राकृतिक आपदाएं और तेल उत्पादक देशों की नीतियां भी कीमतों को प्रभावित करती हैं।

रुपये की विनिमय दर भी एक महत्वपूर्ण कारक है। जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो आयातित कच्चे तेल की लागत बढ़ जाती है, जिससे एलपीजी की कीमतें भी बढ़ती हैं। भारत अपनी एलपीजी आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय कीमतों का प्रभाव यहां साफ दिखता है।

केंद्र और राज्य सरकार के कर भी कीमतों को प्रभावित करते हैं। उत्पाद शुल्क, वैट और अन्य स्थानीय कर मिलकर सिलेंडर की अंतिम कीमत तय करते हैं। परिवहन लागत, वितरण खर्च और डीलर का मार्जिन भी इसमें शामिल होता है। सरकार समय-समय पर सब्सिडी की दर में बदलाव करके कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है।

सरकारी नीति और भविष्य की योजनाएं

भारत सरकार एलपीजी सब्सिडी और मूल्य नीति के संबंध में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपना रही है। पीएम उज्ज्वला योजना को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का निर्णय इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का मानना है कि स्वच्छ ईंधन का उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

सरकार ने घोषणा की है कि वह आगामी वर्षों में उज्ज्वला योजना का विस्तार करेगी और अधिक से अधिक परिवारों को इसका लाभ देगी। योजना के तीसरे चरण यानी उज्ज्वला 3.0 की तैयारी भी की जा रही है। इसके तहत 75 लाख अतिरिक्त कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

डिजिटल इंडिया अभियान के तहत सब्सिडी वितरण प्रणाली को और भी पारदर्शी बनाने की योजना है। आधार आधारित भुगतान प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सब्सिडी का लाभ सही व्यक्ति को मिले। भविष्य में मोबाइल ऐप के माध्यम से गैस बुकिंग और सब्सिडी ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।

पर्यावरणीय लाभ और सामाजिक प्रभाव

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पारंपरिक चूल्हों के उपयोग से होने वाले धुएं से न केवल घर के अंदर की हवा प्रदूषित होती थी बल्कि यह वायु प्रदूषण का भी कारण बनती थी। एलपीजी के उपयोग से इस समस्या में काफी कमी आई है। जंगलों की कटाई भी कम हुई है क्योंकि लकड़ी की मांग घट गई है।

महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसका बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पहले धुएं वाले चूल्हों के कारण महिलाओं में सांस की बीमारियां, आंखों की समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती थीं। एलपीजी के उपयोग से इन समस्याओं में काफी कमी आई है। खाना पकाने का समय भी बचा है जिससे महिलाएं अन्य उत्पादक कार्यों में समय दे सकती हैं।

सामाजिक रूप से भी यह योजना महत्वपूर्ण है। गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिलने से उनमें गर्व की भावना आई है। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बच्चों की शिक्षा पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ा है क्योंकि धुआं रहित रसोई से घर का माहौल बेहतर हुआ है।

चुनौतियां और समाधान

उज्ज्वला योजना की सफलता के बावजूद कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कई लाभार्थी सब्सिडी के बाद भी सिलेंडर रिफिल कराने में असमर्थ हैं। भले ही उन्हें मुफ्त कनेक्शन मिल गया हो लेकिन बार-बार सिलेंडर भराने की लागत उनके बजट से बाहर है। इसके कारण कई परिवार फिर से पारंपरिक ईंधन का उपयोग करने पर मजबूर हो जाते हैं।

दूसरी समस्या दूरदराज के इलाकों में गैस की उपलब्धता की है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में गैस एजेंसी काफी दूर है जिससे सिलेंडर मंगाना मुश्किल हो जाता है। परिवहन की अतिरिक्त लागत भी समस्या बनती है। सरकार इस समस्या के समाधान के लिए मोबाइल गैस वैन की सेवा शुरू करने की योजना बना रही है।

तीसरी चुनौती जागरूकता की है। कई पात्र महिलाएं अभी भी इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखती हैं। सरकार इसके लिए व्यापक प्रचार अभियान चला रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और एलपीजी सब्सिडी व्यवस्था ने भारत के करोड़ों परिवारों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है। यह योजना न केवल आर्थिक राहत प्रदान करती है बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण में भी योगदान देती है। सब्सिडी के कारण गैस सिलेंडर की प्रभावी कीमत में आने वाली कमी परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है।

यद्यपि एलपीजी की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय कारकों के कारण उतार-चढ़ाव होता रहता है, लेकिन सरकार की सब्सिडी नीति इसके प्रभाव को काफी हद तक कम करती है। उज्ज्वला योजना का विस्तार और इसकी अवधि में वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि सरकार गरीब परिवारों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।

भविष्य में इस योजना के और भी व्यापक और प्रभावी होने की उम्मीद है। डिजिटल तकनीक के उपयोग से इसे और भी पारदर्शी बनाया जा रहा है। यदि आप भी इस योजना के पात्र हैं तो बिना देर किए आवेदन करें और स्वच्छ ईंधन के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी उठाएं। यह योजना न केवल व्यक्तिगत लाभ देती है बल्कि पूरे समाज और पर्यावरण के कल्याण में भी योगदान देती है।

Leave a Comment